\*\* रोज़ा (सियाम) का महत्व – आत्मसंयम और अल्लाह की निकटता का मार्ग\*\*
**रोज़ा के फ़ज़ीलत कुरआन और सही हदीसों की रौशनी में**
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### भूमिका
रमज़ान और रोज़ा मुसलमानों के लिए न केवल इबादत हैं बल्कि आत्मिक प्रशिक्षण का महीना है। रोज़ा इंसान को संयम, सब्र, और अल्लाह की याद का आदी बनाता है। यह शरीर की पाकीज़गी, दिल की सफाई और आत्मा की ताज़गी का माध्यम है।
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### कुरआनी आयतें रोज़ा के बारे में
> **“ऐ ईमानवालों! तुम पर रोज़े फर्ज किए गए हैं जैसे तुमसे पहले लोगों पर फर्ज किए गए थे, ताकि तुम तक़वा वाले बनो।”** – (सूरह अल-बक़रा, आयत 183)
> **“रमज़ान का महीना वह है जिसमें कुरआन नाज़िल हुआ, जो लोगों के लिए मार्गदर्शन है।”** – (सूरह अल-बक़रा, आयत 185)
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### सही हदीसें रोज़ा के बारे में
> रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:
> **“रोज़ा ढाल है, जब तक कोई उसे फाड़ न दे।”** – (बुखारी, हदीस: 1896)
> **“जिसने ईमान और सवाब की नीयत से रमज़ान के रोज़े रखे, उसके पिछले गुनाह माफ़ कर दिए जाते हैं।”** – (बुखारी, हदीस: 38)
> **“जन्नत में एक दरवाज़ा है जिसका नाम है ‘रय्यान’, उसमें से केवल रोज़ा रखने वाले दाखिल होंगे।”** – (बुखारी, हदीस: 1896)
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### रोज़ा के फ़ायदे
* अल्लाह से निकटता
* आत्मसंयम और अनुशासन
* गुनाहों की माफी
* रूहानी ताक़त और सुकून
* ग़रीबों की भूख का एहसास
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### रोज़ा की शर्तें
* नियत (इरादा)
* सुबह सहर से लेकर सूरज डूबने तक खाने-पीने और अन्य निषिद्ध चीजों से परहेज़
* शरीरी और आत्मिक पाकीज़गी
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### रोज़ा तोड़ने वाली बातें
* जानबूझकर खाना-पीना
* निकाह या अन्य हराम काम करना
* झूठ, गाली, और बेअदबी
> **“रोज़ा केवल खाने और पीने से रुकना नहीं है, बल्कि बुरी बातों से भी बचना है।”** – (हदीस: अहमद)
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### रोज़ा के अतिरिक्त फ़ायदे
* स्वस्थ शरीर (डिटॉक्स प्रक्रिया)
* सहनशीलता की वृद्धि
* दुआओं की कबूलियत का समय (इफ़्तार के समय)
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### निष्कर्ष
रोज़ा केवल भूखे रहने का नाम नहीं, बल्कि यह अल्लाह से निकटता और खुद की आत्मा को सुधारने का ज़रिया है। रमज़ान एक प्रशिक्षण का महीना है, जिसमें हम अपना दिल, ज़ुबान और हर अंग को गुनाहों से बचाते हैं। रोज़ा वह इबादत है जिसका सवाब खुद अल्लाह देता है।
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📖 **स्रोत:**
* कुरआन मजीद:
* सूरह अल-बक़रा (183, 185)
* सही हदीस:
* बुखारी (हदीस: 38, 1896)
* मुस्लिम
* अहमद