*\* सब्र (धैर्य) – ईमान की आधी पहचान और जन्नत का रास्ता\*\* **सब्र का महत्व कुरआन और सही हदीसों की रौशनी में**

 \*\* सब्र (धैर्य) – ईमान की आधी पहचान और जन्नत का रास्ता\*\*


**सब्र का महत्व कुरआन और सही हदीसों की रौशनी में**



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### भूमिका


सब्र (धैर्य) इस्लामी जीवनशैली का एक मूलभूत हिस्सा है। यह मोमिन की ताक़त, उसके विश्वास की गहराई और अल्लाह के प्रति उसके समर्पण को दर्शाता है। हर तकलीफ़, परीक्षा और ग़म में सब्र करना अल्लाह के नज़दीक बहुत ही बड़ा अमल है।


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### कुरआनी आयतें सब्र के बारे में


> **"निःसंदेह, अल्लाह सब्र करने वालों के साथ है।"** – (सूरह अल-बक़रा, आयत 153)


> **"और सब्र करने वालों को उनकी अज्र बिना हिसाब के दिया जाएगा।"** – (सूरह अज़-ज़ुमर, आयत 10)


> **"अगर तुम सब्र करोगे और तक़वा अपनाओगे, तो अल्लाह की मदद तुम्हारे साथ होगी।"** – (सूरह आल-इमरान, आयत 125)


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### सही हदीसें सब्र के बारे में


> रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:


> **“किसी बंदे को सब्र से बेहतर और वसीय उपहार नहीं दिया गया।”** – (बुखारी, हदीस: 1469)


> **“जो शख़्स सब्र करता है, अल्लाह उसे सब्र देता है।”** – (बुखारी, हदीस: 1469)


> **“मुसलमान को जो भी थकावट, बीमारी, चिंता, ग़म, नुकसान या परेशानी होती है – यहाँ तक कि कांटा भी चुभता है – अल्लाह उसके बदले में उसके गुनाहों को माफ कर देता है।”** – (बुखारी, हदीस: 5641)


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### सब्र के प्रकार


* **तकलीफ़ों पर सब्र** – बीमारी, दुख, मौत आदि पर धैर्य रखना

* **गुनाह से बचने पर सब्र** – नफ्स की इच्छाओं को रोकना

* **इबादत पर सब्र** – अल्लाह की आज्ञाओं का पालन करना, भले ही कठिन हो


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### सब्र की फ़ज़ीलतें


* अल्लाह की मदद और रहमत

* गुनाहों की माफी

* जन्नत की बशारत

* आत्मिक सुकून

* समाज में शांति और धैर्य का वातावरण


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### सब्र का फल


> **"जो लोग मुसीबत में कहें – ‘हम अल्लाह के लिए हैं और उसी की ओर लौटने वाले हैं’ – उन पर अल्लाह की रहमत और हिदायत है।"** – (सूरह अल-बक़रा, आयत 156-157)


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### निष्कर्ष


सब्र केवल सहनशीलता नहीं, बल्कि यह अल्लाह पर यकीन का बयान है। मोमिन की पहचान यह है कि वह तकलीफ में सब्र करता है, और नेमतों में शुक्र करता है। सब्र करने वाला हमेशा कामयाब रहता है – दुनिया में भी और आख़िरत में भी।


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📖 **स्रोत:**


* कुरआन मजीद:


  * सूरह अल-बक़रा (153, 156–157)

  * सूरह अज़-ज़ुमर (10)

  * सूरह आल-इमरान (125)

* सही हदीस:


  * बुखारी (हदीस: 1469, 5641)


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