**तक़वा – अल्लाह से डरने का नाम नहीं, बल्कि अल्लाह की नाफरमानी से बचना है**
**तक़वा (परहेज़गारी) का महत्व कुरआन और सही हदीसों की रौशनी में**
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### भूमिका
तक़वा का अर्थ है – अल्लाह की नाफरमानी से बचना और उसकी आज्ञाओं का पालन करना। यह मोमिन के दिल की वह विशेषता है जो उसे सही और गलत के बीच फर्क सिखाती है। तक़वा वह अंदरूनी रोशनी है जो इंसान को पाप से दूर और नेकी की राह पर रखती है।
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### कुरआनी आयतें तक़वा के बारे में
> **"निःसंदेह, अल्लाह उन्हीं से स्वीकार करता है जो परहेज़गार हैं।"** – (सूरह अल-मायदा, आयत 27)
> **"निःसंदेह, अल्लाह के यहाँ सबसे इज़्ज़तदार वही है जो तक़वा में सबसे आगे है।"** – (सूरह अल-हुजरात, आयत 13)
> **"और जो अल्लाह से डरता है, अल्लाह उसके लिए निकलने का रास्ता बना देता है और उसे वहां से रोज़ी देता है जहाँ से उसे गुमान भी नहीं होता।"** – (सूरह अत-तलाक़, आयत 2–3)
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### सही हदीसें तक़वा के बारे में
> रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:
> **"तक़वा यहाँ है (और आपने अपने सीने की ओर तीन बार इशारा किया)।"** – (मुस्लिम, हदीस: 2564)
> **"जो तुम्हें शक में डाले, उसे छोड़ दो और उसे अपनाओ जो बिना शक है, क्योंकि सच शांति देता है और झूठ संदेह में डालता है।"** – (तिर्मिज़ी, हदीस: 2518)
> **"मैं तुम्हें अल्लाह से डरने और सुनने-मानने की सलाह देता हूँ।"** – (अबू दाऊद, हदीस: 2858)
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### तक़वा की पहचान
* गुनाहों से बचना, चाहे छोटे हों या बड़े
* दिल में अल्लाह का डर होना
* इबादत में इख़लास (नियत की शुद्धता)
* दूसरों के हक़ अदा करना
* नेक अमल करते रहना
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### तक़वा के लाभ
* अल्लाह की मोहब्बत और मदद
* गुनाहों की माफी
* हर मुश्किल से निकलने का रास्ता
* दुआओं की कबूलियत
* दुनिया और आख़िरत की कामयाबी
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### निष्कर्ष
तक़वा एक मुसलमान के लिए मार्गदर्शक सितारा है। अगर दिल में तक़वा होगा, तो ज़ुबान और शरीर से नेकी निकलेगी। तक़वा हमें अल्लाह के करीब लाता है, गुनाह से बचाता है और जन्नत का रास्ता खोलता है। आइए, हम अपने दिलों में तक़वा को बिठाएँ और अल्लाह की रहमत के हक़दार बनें।
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📖 **स्रोत:**
* कुरआन मजीद:
* सूरह अल-मायदा (27)
* सूरह अल-हुजरात (13)
* सूरह अत-तलाक़ (2–3)
* सही हदीस:
* मुस्लिम (हदीस: 2564)
* तिर्मिज़ी (हदीस: 2518)
* अबू दाऊद (हदीस: 2858)